Dil hai chhota sa
दिल है छोटा सा, छोटी सी आशा. समय बदल जाता है, शहर बदल जाता है। सिलवट बदलकर चेहरा बदल जाती है। पर तुम्हारी यादें ही रह जाती है। गांव से निकलकर पगडंडी रास्ते से मिल गई। और ये रास्ते केशकाल की घाटियों से होते हुए जगदलपुर से जुड़ गई। जगदलपुर की निराली मौसम की कुछ खट्टी मीठी यादें। मुझे ही सुलाए, मुझे ही जगा दे। परचनपाल की वो गली, वो हंसी, ठिठोली। दोस्तों की वो टोली, रंगों की वो होली। कभी दोस्तों से लड़ना फिर लड़कर मनाना। कभी स्कूल ना आना, फिर बातें बनाना । कैसे भूल सकता हूं धुरगुड़ा का प्रयास । घर जाने का ख्याल, न जाने की आस। बारिश की फुहार में तुम्हारा उछलना, चहकना। कभी शाम - ए - सरगम की गीते गुनगुनाना l सर्दी की सुहानी धूप, योगा, बैडमिंटन I वो कहानी भी खूब थी इंग्लिश का मिल्टन। गर्मी की उमस में परीक्षा की तैयारी। इरादे मजबूत थी जितने की बारी I फिर एक दिन आया बिछड़ने का गम। तुमने ही तो कहा था,.....फिर मिलेंगे हम। - जय देशलहरे Jai deshlahare All wrights reserved